क्या इस तरह का बदन कसरत से मुमकिन है। ऐसी काया पाने के लिए ये महिलाएं कैसी कसरत करनी होती होंगी। कितना वक्‍त लग जाता होगा भरे हुए बदल पर एब्‍स बनाने और नसें निकालने में। इतनी कठिन कसरत आखिर कैसे हो पाती है। और अगर ऐसी काया केवल जिम से नहीं मिलती तो कैसे मिल सकती है। आज हम आपको इन सवालों के जवाब देंगे। पहले इन्हें मोटे तौर पर समझ लें।

क्यूं विदेशी जिम ट्रेनर इतनी गठी हुई नजर आती हैं

  1. वो प्रोफेशनल एप्रोच के साथ जिम करती हैं।
  2. उनमें जबदरस्त जुनून होता है और कई चीजों का त्याग कर देती हैं।
  3. उन्हें पता होता है कि प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फैट कितना लेना है और किन चीजों से लेना है।
  4. वो प्री वर्कआउट सहित फूड सप्लीमेंट लेने से परहेज नहीं करतीं।
  5. वो वजन घटाने के लिए मेहनत के साथ विज्ञान का सहारा लेने से कतराती नहीं हैं, जैसे फैट बर्न करने वाली दवाएं।
  6. वो काया बनाने के खतरनाक रास्तों जैसे मेल हार्मोन के इंजेक्शन और फैट जलाने वाले स्टेरॉइड लेने से नहीं डरतीं।

अब आपको कुछ कुछ अंदाजा लग गया होगा कि इन तस्वीरों की असली कहानी क्या है। बॉडी के अपने कुछ कायदे हैं आप कितनी ही कोशिश कर लें। मगर बॉडी एक तय सीमा से ज्यादा फैट को नहीं छोड़ेगी। भरा हुआ बदन उस पर नसें दिखाता पेट कसरत नहीं विज्ञान का कमाल है। ऊपर जो प्वाइंट गिनाए गए हैं, उनमें 5 नंबर तक आकर दीपिका पादुकोण जैसी कमर पा सकती हैं। मगर जो तस्वीर हमने लगाई हैं वो एडवांस लेवल की बॉडी बिल्डिंग का नतीजा है।

ऐसा नहीं है कि महिलाएं एब्स नहीं निकाल सकतीं। एक जवान एथलीट अगर इस दिशा में मेहनत करे तो वो एब्स निकाल लेगी मगर 30 या उससे अधिक उम्र की महिलाएं एब्स हासिल करती हैं तो उसकी दो वजह ही होती हैं एक तो ये कि उनकी बॉडी एक्सेपशनल या भगवान की देन है अथवा वो प्वाइंट नंबर 6 को पार कर चुकी हैं।

बेहद दुबली पतली लड़कियों को आप इससे अलग कर दें, जिनके शरीर पर मांस ही नहीं है उनकी कमर तो पतली होगी ही। हम उस फिगर की बात कर रहे हैं जिसमें शरीर में भरावट भी है, कसावट भी है और प्रॉपर एब्स या एब्स की झलक है। अब ऐसा तो है नहीं कि भगवान ने सबसे ज्यादा इनायत विदेशी महिलाओं पर ही कर रखी है।

फैट बर्न करने वाली गोलियां, कैप्सूल तो इनके लिए बहुत आम चीज है। ये महिलाएं अपनी काया के लिए इससे कहीं ऊपर चली जाती हैं। शरीर में बचे दो चार फीसदी फैट को भी जलाने के लिए यह हैवी स्टेरॉइड लेने से परहेज नहीं करतीं। हैवी वेट पुश करने के लिए मर्दों वाला स्टेरॉइड लेती हैं, जिसे टेस्टोसटेरोन कहते हैं। मर्दों का लुक, दाढी मूंछ, गुस्सा, आवाजा का भारीपन इसी की बदौलत होता है। लड़कियों में यह हार्मोन बनता है मगर बहुत कम। इसलिए लड़कियां इसका इंजेक्शन लेती हैं। विदेशों में इसका चलत बहुत ज्यादा है।

यह जानकारी आपको देनी इसलिए जरूरी थी ताकि आप जिम करते वक्त ऐसा लक्ष्य न चुन लें जिसे पूरा करना मुमकिन न हो। क्योंकि इससे आपको फ्रस्ट्रेशन के अलावा कुछ नहीं मिलेगा। यह तस्वीरें प्रेरणा देती हैं तो जरूर लें मगर इनके पीछे न भागें। ऐसा लक्ष्य तय करें जो रिएलिस्टिक हो। और हां विज्ञान का इस्तेमाल करने से परहेज न करें।

स्रोत: http://www.bodylab.in/