आप हर मौसम में हरकुछ नहीं खा सकते। मौसम के हिसाब से खानेपीने के कुछ कायदे होते हैं। आर्युवेद के इन कायदों को तोड़ने वालों को रोगों की शक्‍ल में सजा मिलती है। 15 मार्च से 15 मई का वक्‍त वसंत ऋतु का होता है। हिन्‍दू कैलेंडर के हिसाब से चैत्र और वैशाख महीने लगते हैं। सूरज की गति के हिसाब से इस पीरियड को अादान काल कहते हैं। बरहाल हम मुद्दे की बात पर आते हैं।

वसंत ऋतु का बॉडी पर क्‍या असर पड़ता है

यह वक्‍त गर्मी और सर्दी के बीच का होता है इसलिए ठंड और गर्मी दोनों का इफेक्‍ट होता है। दिन में गर्मी और रात को ठंडक होती है। इस मौसम में कफ दोष बॉडी पर और हावी होने लगता है। वजह ये है कि इससे पहले वाले मौसम यानी शिशिर ऋतु में बॉडी में जमा कफ अब गर्मी होने पर पिघल जाता है। इससे खासतौर पर पचाने की ताकत पर असर पड़ता है। साफ तौर पर कहें तो खाने को पचाने वाली आग जिसे जठराग्‍नि कहते हैं, कमजोर पड़ जाती है। एक तो वैसे ही इस मौसम में कफ का असर ज्‍यादा होता है उसमें अगर आपने कफ बढ़ाने वाली चीजें थोड़ी बहुत भी खा लीं तो समझें टांसिल्‍स, खांसी, गले में खराश, जुकाम, सर्दी और कफ व बुखार का हमला हो सकता है।

वसंत के मौसम में क्‍या खाना चाहिए

सर्दी के मौसम के उटल वसंत के मौसम में हल्‍के, ताजे और आसानी से पच जाने वाली चीजों के अलावा कड़वे और कसैले स्‍वाद वाली चीजें खानी चाहिए। फैट वाली चीजों की बजाए रूखी चीजें खाएं। चावल, जौ, चना, गेहूं और शहद का इस्‍तेमाल करें।

अदरक, करेला, आंवला, परवल, सत्‍तू, मूंग की दाल, हरी साग सब्‍जी, लौकी, पालक, नींबू, सोंठ, गाजर और मौसमी फल खाएं। चाय में अदरक डाला करें। पुराने अनाज, सरसों का तेल, पीपल, काली मिर्च, हरड़, बहेड़ा, आंवला, बेल, छोटी मूली, राई, धान का लावा, खस का पानी पी सकते हैं।

वसंत के मौसम में क्‍या नहीं खाना चाहिए

वसंत में फैटी, खट्टे, मीठे और पेट के लिए भारी चीजें नहीं खानी चाहिए। तली और मसालेदार चीजें कम से कम खाएं। दिन में सोना बंद कर दें ऐसा करने से कफ दोष भड़क जाएगा। रात को ज्‍यादा देर तक नहीं जागना चाहिए इससे वायु दोष बढ़ जाता है।

सुबह देर तक सोने से मल सूख जाता है, भूख्‍ देर से लगती है और चेहरे व आंखों की चमक कम हो जाती है। इसलिए इस मौसम में जल्‍दी सोएं और जल्‍दी उठें।

पूरे साल बचे रहेंगे स्‍किन के रोगों से

15 मार्च से लेकर 15 अप्रैल तक यानी चैत्र के महीने में रोज सुबह खाली पेट नीम की 10 से 15 कोपलें कुछ दिन तक खाने से पूरे साल स्‍किन के रोगों से बचाव हो सकता है। यही नहीं खून के विकारों और बुखार से भी काफी हद तक बचाव होता है।

इस मौसम में हेल्‍थ को बनाए रखने के लिए रोज एक्‍सरसाइज करें। टहलें, मालिश करें और अगर मौसम में ठंडक है तो गुनगुने पानी से नहा सकते हैं। गर्म पानी से मूत्राश्‍य और मलाश्‍य की अच्‍छे से सफाई करनी चाहिए। नहाने के बाद बदन पर कपूर, चंदन, अगरू, कुमकुम जैसी खुश्‍बू वाली चीजों का लेप लगा सकते हैं। चाहें तो शाम के वक्‍त दोबारा नहा सकते हैं। ढीले और सूती कपड़े पहनें। जड़ी बूटियों से बनी हुई सिगरेट पीना अच्‍छा माना गया है।

स्रोत – आर्युवेदिक चिकित्‍सा

स्रोत: http://www.bodylab.in/