मोटापा अपने आप में एक रोग है। मोटा व्यक्ति आलसी होता है और रोग भी उस पर जल्दी हमला करते हैं। उसकी उम्र भी लम्बी नहीं होती है। मोटापे का बड़ा कारण पिटयूटरी- ग्रंथी, तथा थायराइड ग्रंथि का ठीक से काम न करना है। अगर आपके दादा या पिता को मोटापे की समस्‍या है तो आपको भी हो यह हो सकता है। मोटे व्यक्ति में खून कम बनता है, शरीर में फैट इकट्ठा हो जाता है। ब्‍लड सर्कुलेशन ठीक नहीं रहता। शरीर में लचक नही रहती हैं। सांस जल्‍दी जल्‍दी चलती है, जिससे फेफड़े पूरी तरह काम नहीं कर पाते हैं। रक्त की शुद्धि नही हो पाती हैं। चर्बी होने के कारण नाड़ी संस्थान भी पूरी तरह काम नहीं करता है।

अधिक भोजन करना, मीठा अधिक खाना, आलसी रहना, मेहनत न करना, अधिक सोना, व्यायाम न करना आदि मोटे होने के कारण हो सकते हैं। आज हम मोटापा कम करने के लिए मालिश और देसी डाइट प्‍लान के बारे में बात करेंगे।

मालिश- प्रतिदिन स्नान करते समय 10 -15 मिनट छोटे तौलिए से सारे शरीर की पानी से मालिश करें। जहां- जहां अधिक चर्बी हो , वहां अच्छी तरह पानी वाले तौलिए से रगड़ें, सर्दियां हो, तो हल्के गर्म पानी से मालिश के बाद ताजे पानी से स्नान करें। शाम को सूखी मालिश करें। फैट वाले स्‍थान को मसलें। पेट के बल दरी पर लेट जाएं।

किसी की मदद से गर्दन से लेकर पांव तक थपकी करवाएं। हल्के – हल्के मुक्के लगवाएं। मांस को चिंयुटी भरकर मसलें। मांस को पकड़ कर झकझोरे। पानी से तथा सूखी मालिश करवाने से चर्बी अपना स्थान छोड़ती है, ढलती है।

डाइट – कुछ दिनों के व्यायाम तथा मालिश से चर्बी ढलने लगेगी, भूख कम हो जाएगी। वसा आपकी खुराक बनकर अपने को खाने लगेगी। इसके साथ भोजन का परहेज करने पर जल्दी लाभ मिलेगा। अपना पेट सब्जी के सलाद, कच्ची सब्जी के रस (पालक, गाजर, लौकी, पेठा, खीरा आदि) फल व फलों का रस ( संतरा, मौसमी आदि ) सब्जियों के सूप आदि से भरें, सारे दिन केवल एक- दो साग वाले आटे की चपाती और क्रीम निकलें दूध में छोटी इलायची, अदरक उबाल कर लें। दिन में दो- तीन बार नीबू पानी पिएं। यदि रोटी, चावल नहीं खाना हो तो नींबू पानी में एक चम्मच मधु मिलाकर लें सकतें हैं। सर्दियों में थोड़ा गरम पानी, गर्मियों में ताजे पानी में।

वजन कम करने का भारतीय डाइट चार्ट

सुबह उठते ही नींबू पानी, 8 बजे कोई कच्ची सब्जी का या फल का रस।

10 बजे- क्रीम निकला दूध, 250 – 300 ग्राम या इतना ही दही का मटठा, नमक – जीरा मिलाकर ।

12 बजे – कोई फल, फल का रस या गाजर का रस, आदि (यदि इनका मौसम हो, तो) लें।

2 बजे – कच्ची सब्जी का सलाद, भाप से बनी हरी सब्जी, दही का रायता। यदि आवश्यकता हो, तो एक –आधी चपाती।

5 बजे – नींबू पानी या फलों का रस।

7 बजे – सब्जी का सूप, काले चने का सूप, कोई फल या एक चपाती, सब्जी ,सलाद।

कोई साग – पालक, मेथी, बथुआ पीसकर उसमें आटे को सानें। इसकी चपाती ही खाएं।

सावधानियां – यदि भूख कम हो जाए, तो चपाती बिल्कुल न लें, खुराक कम कर दें। पुरानी आदतों के कारण कुछ दिन इस प्रकार के भोजन से कष्ट होगा, परंतु कुछ दिन लगातार चलाने से शरीर अपने को उसके अनुसार ढाल लेता हैं और लाभ भी मिलने लगता है।

यदि भूख अधिक लगे तो थोड़ा भुना चना या मुरमुरा खा सकते हैं।

साभार – योग और भोजन द्वारा रोगों का इलाज

स्रोत: http://www.bodylab.in/