हमें अपना वर्कआउट शेड्यूल कितने दिन में बदलना चाहिए. वर्कआउट में कितना बदलाव करना चाहिए, एक्सरसाइज शेड्यूल कैसे बदलना चाहिए यह सवाल जिम करने वाले या घर पर कसरत करने वाले हर शख्स के माइंड में आता है. इस लेख में इन सारे सवालों के जवाब समेटने की कोशिश हम करेंगे. बॅाडी को ट्रेन करने के कई तरीके हैं, बॅाडी को ट्रेन करने की कई स्टेज होती हैं.

हमें बॅाडी बनानी है या मेनटेन करनी है या फिर वेट लॅास करना है, सभी में कसरत का रोल अहम होता है. अगर हम जिम जा रहे हैं तो मोटे तौर पर हमारे पास कुछ न कुछ प्लानिंग जरूर होनी चाहिए कि हम क्या करेंगे और कितने टाइम तक करेंगे. बस इसी को हम ट्रेनिंग शेड्यूल कहते हैं. यह हमें इधर उधर भटकने से बचाता है. इस लेख में हम वर्कआउट तैयार करने के बारे में कम और उसमें बदलाव के बारे में ज्यादा बात करेंगे.

क्यूं जरूरी है वर्कआउट चेंज करना

आपने अगर एक महीने भी कसरत कर ली है तो समझ लें कि आपको बदलाव की जरूरत है. बहुत लोगों को शिकायत रहती है कि वो मेहनत तो बहुत कर रहे हैं मगर नतीजे नहीं आ रहे हैं. हालांकि कई बार इसकी वजह डाइट में कमी भी होती है, मगर इसे टेस्ट करने का सबसे सही तरीका ये है कि आपकी बॅाडी

आपका मकसद जो भी हो इतना तो तय जान लें कि बॉडी को बदलाव की जरूरत होती है। अगर आप वर्कआउट बदलेंगे तो नहीं तो उसका असर या तो खत्‍म हो जाएगा या फिर बहुत ही लिमिटेड हो जाएगा या फिर बहुत ही टेंपरेरी किस्‍म का रह जाएगा। वर्कआउट का कायदा कहता है कि बॉडी को चैलेंज और उसे सरप्राइज दोनों मिलते रहने चाहिए। भले ही आप मसल्स गेन कर रहे हों या वेट लॉस। चैलेंज से ही हमारे हार्मोन एक्‍टिव होते हैं।

कब बदलना चाहिए वर्कआउट

1 जो लोग जिम में नए हैं – उन्‍हें शुरू में तो करीब दो महीने मिक्स वर्कआउट करना चाहिए। सभी कसरतें करें, सभी कसरतें सीखें और स्‍ट्रेंथ डेवलप करें। उसके बाद उन्‍हें एक तय शेड्यूल पर चलना चाहिए दो महीने तक। उसके बाद उसमें बदलाव करें। यहां एक बात जरूर जान लें कि बॉडी बिल्डिंग गणित की तरह स्ट्रेट नहीं होता कोई भी नियम 100 फीसदी हर किसी पर लागू नहीं होगा। हम बेसिक कायदे बताते हैं, उनके लिए जिनके पास अच्छे कोच नहीं है।

2 जिन्‍हें जिम जाते हुए एक साल से ऊपर हो गया – ऐसे लोगों को हर महीने अपने शेड्यूल में बदलाव करना चाहिए। बल्‍कि एक दो कसरतें हर बार बदलनी चाहिए। मसलन पिछले दफे अगर आपने चेस्ट में फ्लैट बैंच, इंक्लाइन बैंच, इंक्‍लाइन डंबल, बटर फ्लाई की है तो अगली बार इंक्‍लाइन डंबल की जगह डिक्‍लाइन डंबल करें। ये बस एक छोटा सा उदाहरण था। आप कोई और कसरत भी बदल सकते हैं।

3 जिन्‍हें जिम जाते हुए दो साल से ऊपर हो गया – आपको अपने वर्कआउट शेड्यूल में हर बार बदलाव करना चाहिए। हां अगर कोई ऐसी कसरत है जो आपको बहुत सूट करती और जिससे आपको अच्‍छा रिजल्‍ट मिल रहा हो उसे न छोड़ें। आप लोगों को बीच बीच में स्‍पेशल वर्कआउट शेड्यूल फॉलो करने चाहिएं। जैसे 5 गुणा 5, 2 महीने वाला गेन करने का वर्कआउट शेड्यूल। आपको कसरत करना आ गया है इसलिए आप किसी रिजल्‍ट ओरिएंटेड शेड्यूल को फॉलो करें। दो महीने वाला, तीन महीने वाला, बीस दिन वाला।

कुल मिलाकर बात ये है कि आपको एक मकसद तय करना चाहिए कि जैसे कि मुझे गेनिंग करनी है तो आप दो से तीन महीने महीने गेनिंग के शेड्यूल और डाइट प्लान पर चलें। अच्‍छे रिजल्‍ट पाने का सबसे सही मौका ऐसे लोगों के पास ही होता है जिन्‍हें दो साल जिम करते हो चुके होते हैं। ऐसे लोग नई स्टेज पर जाने के लिए तैयार होते हैं। अगर आप ऐसे दौर में हैं तो अपने लिए किसी प्रोफेशनल से स्पेशल वर्कआउट प्‍लान बनवाएं या इंटरनेट तो है ही, उसपर खोजें और उसमें अपने हिसाब से बदलाव करें।

4 जो लोग अब जिम के पुराने खिलाड़ी हो चुके हैं – पांच साल या उससे ऊपर से जिम कर रहे लोगों का बस एक नियम होना चाहिए। हर बार बदलें, बार बार बदलें और जो चीज असर करे उसे कुछ दिन फॉलो करें। फिर कुछ नया तलाशें।

कैसे करें अपने वर्कआउट में बदलाव

अपने वर्कआउट को बदलने के आपको दर्जनों तरीके हैं, जिनमें से कई पर हम यहां बात करेंगे। इनमें से हर तरीकों को आप अपने वक्त और जरूरत के हिसाब से आज नहीं तो कल अपना सकते हैं।

1 रैप रेंज चेंज करें – आज आपकी जो भी रैप की आमतौर पर गिनती है उसमें तीन रैप बढ़ाकर या घटाकर रैप रेंज चेंज कर सकते हैं।
कसरत बदलें – एक ही पार्ट की दर्जनों कसरतें हैं, हम एक बार में आमतौर पर 3 से 6 कसरतें करते हैं। इसलिए हमारे पास कसरतें बदलने का बहुत स्कोप रहता है। इस बार अपने जो पांच कसरतें कीं उन्‍हें अगली बार न करें, पांचों कसरतें बदल दें, या कोई दो बदलें या कोई तीन बदलें। मगर चेंज जरूर करें।

2 कसरतर का ऑर्डर बदलें – मान लें आज आपने कोई पांच कसरतें 1,2,3,4,5 के ऑर्डर में कीं। अगली बार आप 4 नंबर वाली कसरत को 1 नंबर पर ले आएं, फिर 2 नंवर वाली कसरत करें इसके बाद 1,5,3 नंबर वाली कसरत। बस हो गया बदलाव।

3 एक्सारइज के दिन बदलें – किसी भी जिम में सोमवार को जाएं तो ऐसा लगता है आज नेशनल चेस्ट डे है। हर कोई चेस्ट की कसरत कर रहा होता है। शनिवार को सभी थाई की कसरत कर रहे होते हैं। ऐसे लोग बहुत कम होते हैं जो सोमवार को लेग्स करें। अगर आप भी चेस्ट, बैक, शोल्‍डर वाले सदियों पुराने शेड्यूल में फंस हैं तो उसे बदल लें। आप पहले दिन शोल्डर करें।

4 कोई कोई बॉडी पार्ट सप्‍ताह में दो बार करें – हम हमेशा आपको सलाह देते हैं कि खुद को ओवर ट्रेनिंग से बचाएं। मगर लोग जिम में पुराने हो गए हैं, प्रोटीन और बाकी डाइट भी ले रहे हैं उन्‍हें बाइसेप्स ट्राइसेप्स हो छोड़कर कोई कोई बॉडी पार्ट रिपीट कर देना चाहिए। आप किसी और कसरत के साथ उसे मिलाकर कर सकते हैं।

5 ड्रॉप सेट – ड्रॉप सेट बेहतरीन चीज है। खासतौर पर ऐसे लोगों के लिए जो जिम में एक दो साल या उससे ऊपर टाइम बिता चुके हैं। ड्रॉप सेट आपको कसरत को एक कंप्‍लीनेस देता है। मगर इतना ध्‍यान रखें कि हर कसरत में ड्रॉप सेट नहीं किया जाता मसलन ऐसा नहीं है कि आज आपने 5 एक्सरसाइज कीं तो सबके आखिर में ड्रॉप सेट लगाने लगें। यह केवल एक या दो कसरतों में लगाया जाता है। आमतौर पर आखिरी कसरत के आखिरी सेट को हम ड्रॉपसेट के लिए सबसे अच्‍छा मानते हैं।

6 सुपर सेट – इसमें हम दो कसरतें एक साथ करते हैं बिना रेस्‍ट लिए। जैसे एक सेट फ्लैट बेंच फिर बना रेस्‍ट लिए पुश अप्स। जैसे एक सेट बारबेल शोल्‍डर प्रैस और उसी के साथ बिना रेस्ट लिए श्रग्‍स का एक सेट। सुपर सेट में एक अच्छा तरीक ये होता है कि एक कसरत में वेट हैवी रखें और उसके साथ दूसरी कसरत लाइट वेट से रखें। जैसे फ्लैट बेंच में आपने हैवी वेट से 6 रैप निकाले और पुश अप्स में 15 रैप निकालें। जैसे बारबेल शोल्‍डर प्रैस मे आपने 5 रैप निकाले तो श्रग्स में 16 रैप।

7 कंपाउंड सेट – इसमें हम दो अलग बॉडी पार्ट को एक साथ करते हैं जैसे एक सेट बेंच प्रैस, उसी के साथ एक सेट फ्रंट लैट पुल डाउन। बेंच प्रैस हो गई चेस्‍ट के लिए और फ्रंट लैट पुल डाउन हो गई बैक की कसरत।

8 सर्किट ट्रेनिंग – इसमें हम लगातार चार से पांच कसरतें करते हैं। यानी एक एक सेट हर कसरत का और वो भी बिना रेस्ट लिए। सर्किट ट्रेनिंग बहुत अलग किस्म की फीलिंग देती है। स्टेमिना ओर स्‍ट्रेंथ बनाने में इसका कोई जवाब नहीं है। आमतौर पर इसे वीकेंड पर किया जाता है और उसके अगले दिन रेस्ट रखते हैं।

इस लेख में हमने आपको यह बताने की कोशिश की है कि जिम जाने वालों को अपने वर्कआउट शेड्यूल में किस तरह से बदलाव करना चाहिए। हमने इस सवाल का जवाब देने की भी कोशिश की कि आपको अपना एक्सरसाइज शेड्यूल क्‍यों बदलना चाहिए। अगर आप इस लेख में कुछ कमी पाते हैं या कुछ पूछना चाहते हैं तो इस लेख के नीचे जो कमेंट बॉक्स दिया है उसमें आप सवाल कर सकते हैं। हम धीरे धीरे सभी कमेंट्स के जवाब देते रहते हैं।

स्रोत: http://www.bodylab.in/