माँसपेशियों का ऐंठना या, जैसा कि डॉक्टर कहते हैं, इनवोलंटरी मसल कांट्रेक्शन एक अत्यंत अरुचिकर स्थिति है. यह वजन उठाने के प्रशिक्षण के दौरान या उसके कुछ समय बाद भी हो सकती है. इन संकुचन या ऐंठन की उत्पत्ति के कारण शरीरविज्ञानियों के लिए आज भी रूचि का विषय हैं. और यदि समस्या हल हो गई होती, तो मानवता कई गंभीर रोगों से इतना त्रस्त नहीं रही होती जिनमें ऐंठन होती है. हालाँकि इस लेख में हम केवल खेलों के अनुभव को देखेंगे.

ऐंठन की शुरुआत अक्सर प्रशिक्षण के दौरान ही होती है. वैसे ये जरूरी नहीं है, लेकिन आमतौर पर, ऐंठन मांसपेशियों के उस समूह में होती है जिस पर किसी एक व्यायाम मे जोर पड़ा हो  या पूरा व्यायाम ही कर लिया हो.

यदि ऐसा होता है, तो शायद यह थकी हुई माँसपेशियों पर अत्यधिक जोर डालने का परिणाम है, और यह वैसे भी अब तक माँसपेशियों के संकुचन की क्रियाविधि पर नियंत्रण में विकार उत्पन्न कर चुका है. भविष्य में ऐसा ना होने देने के लिए, आपको स्वयम पर जोर डालने की उच्च सीमा को स्पष्ट समझना होगा, जिसका उल्लंघन नहीं होना चाहिए. लेकिन समस्या है आपके द्वारा लांघे जाने वाली सीमा को समझना.

ऐंठन का अन्य कारण मांसपेशियों का शारीरिक रूप से थकना नहीं बल्कि पोषक तत्वों की लम्बे समय से बनी हुई कमी है जो माँसपेशियों के कार्य पर सीधा प्रभाव डालती है. माँसपेशियों का अनचाहा संकुचन हल्का और अत्यंत दर्द युक्त दोनों प्रकार का हो सकता है. यह केवल अरुचिकर या दर्द को बढ़ाने वाला ही नहीं होता, बल्कि यदि दर्द ठीक व्यायाम के दौरान हो रहा हो तो यह खतरनाक भी हो सकता है.

जब हम ऐसी चीजों के बारे में बात करते हैं, सबसे पहले हमारा मतलब उन पोषक तत्वों से होता है जो शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट के संतुलन का आधार होते है – पोटैशियम और सोडियम. इन खनिजों के स्तर में उतार-चढ़ाव अत्यंत आम बात है, जब तक कि शरीर को बाहर से इनकी लगातार आपूर्ति ना हो रही हो. यदि इलेक्ट्रोलाइट की खर्च की गई मात्रा की तुरंत पूर्ति ना हो तो माँसपेशियों के रेशों की गतिविधि में जैवरासायनिक परिवर्तन हो जाते हैं. उनके संकुचित होने की क्षमता का निश्चित नियंत्रण शरीर में सोडियम और पोटैशियम की परस्पर क्रियाविधि द्वारा होता है.

मैं सोचता हूँ कि यह बताना कोई बुद्धिमानी की बात नहीं है कि इन दोनों खनिजों में से एक की भी कमी माँसपेशियों के अनुचित संकुचन को उत्पन्न करती है. इसके दो प्रकार होते है. या तो माँसपेशियाँ सिकुड़कर अत्यंत सख्त हो जाती हैं या, इसके उलट, उबले हुए सॉसेज के समान हो जाती है. अच्छी तरह प्रशिक्षित माँसपेशियों के लिए ये दोनों स्थितियाँ अत्यंत सामान्य हैं. इस तथ्य को जानने के बाद, आपके लिए स्वयं की देखभाल और अपने शरीर को पोटैशियम और सोडियम की पर्याप्त मात्रा वाले आहार और पेय प्रदान करना कोई कठिन कार्य नहीं है. इन्हें प्रदान किया जाना ही आवश्यक नहीं है बल्कि ये संतुलित अनुपात में भी होने चाहिए. यह अत्यंत महत्वपूर्ण भी है और इसको नजर अंदाज करना खतरनाक है. वैसे, अधिकतर स्पोर्ट्स ड्रिंक्स में, केवल इनका अनुपात होता है.

एक मत यह भी है कि शरीर में कैल्शियम की कमी से भी ऐठन होती है. यह संभव है क्योंकि माँसपेशियों और तंत्रिकाओं के उत्तेजन की सीमारेखा निचली होती है.

इससे बचने के लिए, आपको शरीर द्वारा आसानी से ग्रहण कर लिए जाने वाले कैल्शियम युक्त आहार लगातार लेना चाहिए. इनमें हमारे पसंदीदा दही, डेरी और दूध के उत्पाद आते हैं. और, निश्चित ही, आप बी विटामिनों को नहीं भूल सकते.

यदि ऐसा होता है कि ऐंठन आपको पकड़ ले, तो इसके मुकाबले का सबसे तेज तरीका माँसपेशियों की स्ट्रेचिंग (स्वयं द्वारा या बाहरी सहयोग द्वारा), मालिश या स्वयं द्वारा मालिश और गर्म सिंकाई है.

यदि ऐंठन सारे शरीर में है और बनी हुई है, और साथ ही, माँसपेशियों में, खासकर पैरों में सूजन, भारीपन, और थकावट है, और ऊपर बताए सारे तरीके सहायता नहीं कर रहे, तो यह स्पष्ट संकेत है कि डॉक्टर को दिखाया जाए और उससे संपूर्ण परीक्षण करवाया जाए ताकि सारे कारण पता हो सकें.