बहुत ज्‍यादा सोने वालों का बुलावा ज्‍यादा जल्‍दी आ सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ज्‍यादा सोना उतना ही खतरनाक होता है, जिनता बहुत कम सोना। एक दो नहीं बल्‍कि 30 साल से ऊपर के 10 लाख लोगों पर की गई एक रिसर्च से पता चला कि आठ घंटे से ज्‍यादा और चार घंटे से कम सोने वालों के मरने की दर उनके मुकाबले बहुत ज्‍यादा थी ,जो छह या सात घंटे सोते थे।

शोधकर्ताओं ने लंबी नींद और मौत की दर में बड़ा ही साफ ताल्‍लुक ढूंढ निकाला। हालांकि अमेरिका के जिन वैज्ञानिकों ने यह पड़ताल की है वो इसकी वजहों को पूरी तरह से एक्‍स्‍प्‍लेन नहीं कर पा रहे हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया के प्रोफेसर डॉक्‍र डेनियल क्रिप्‍के ने कहा, हम नहीं पता कि ज्‍यादा देर तक सोने का ताल्‍लुक मौत से है। इससे पहले कि आप अपने अलार्म को थोड़ा पहले कर लें, इस सिलसिले में और रिसर्च जरूरी है। हालांकि जो लोग साढ़े छह घंटे की नींद ले लेते हैं वो भरोसा रख सकते हैं कि इतना सोना उनकी सेहत के लिए ठीक है। हल्‍थ के लिहाज से देखें तो बहुत लंबा सोने की कोई जरूरत नहीं है।

वैज्ञानिकों ने दो अलग अलग ग्रुप बनाकर लोगों का अध्‍ययन किया। एक ग्रुप में छह से सात घंटे सोने वाले लोग थे और दूसरे में आठ या उससे अधिक। शोध के दौरान यह बात सामने आई कि 6 साल के दौरान आठ घंटे सोने वाले ग्रुप में कम सोने वाले ग्रुप के लोगों के मुकाबले 12 फीसदी ज्‍यादा मौतें हुईं।

इस नई रिसर्च ने लंबे समय से आ रही इस मान्‍यता को सीधे चुनौती दी है कि हेल्‍दी रहने के लिए आठ घंटे की नींद जरूरी है। तो अभी के लिहाज से आप ये मान कर चल सकते हैं कि छह से सात घंटे की नींद ठीक है।

स्रोत: http://www.bodylab.in/