हाल फिलहाल में इस तरह की कई खबरें छपी हैं कि एक बार में ढेर सारी कसरत करने की बजाए आप टुकड़ों में कसरत करके अच्‍छा फायदा पा सकते हैं। तो क्‍या यही बात नींद पर भी लागू होती है। क्‍या छोटी छोटी नींद से आदमी का काम चल सकता है ?

यूनिर्वसिटी ऑफ पीट्सबर्ग के नींद विशेषज्ञ और मनोचिकित्‍सा के प्रोफेसर डेनियल के मुताबिक, दुर्भाग्‍य से ऐसा नहीं है। लंबी नींद की बजाए टुकड़ों में नींद लेने से नींद की कमी हो जाती है। वो और उनके वालंटियरों ने एक बार ऐसा प्रयोग किया है। उन्‍होंने करीब ढाई दिन तक अपने वालंटियरों को तीन मिनट तक सुलाया और 60 मिनट तक जगाया।

आखिर में सबको नींद की भारी कमी महसूस होने लगी। डेनियल ने कहा कि हर समय की नींद एक जैसी नहीं होती। बेशक लोगों को यह लगता है कि वह कभी भी सो सकते हैं मगर दोपहर के मुकाबले रात के वक्‍त गहरी नींद आने के चांस ज्‍यादा होते हैं। उन्‍होंने कहा कि हमारी बायोलॉजिकल घड़ी हमें दिन के वक्‍त अच्‍छे से सोने की इजाजत नहीं देती। हर नींद एक समान नहीं होती।

यही वजह कि रात की शिफ्ट में काम करने वाले लोग दिन की शिफ्ट के मुकाबले कम सो पाते हैं और उसकी वजह से सेहत का नुकसान उठाते हैं। हालांकि जो नींद रह गई है उसे पूरा करने का जब मौका मिले तब चूकना नहीं चाहिए।

स्रोत – एनवाईटी

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