21 बेसिक बॉडीबिल्डिंग टिप्स जिम जाने वालों के लिए

बॉडी बिल्डिंग न तो बहुत आसान है और न ही बहुत मुश्किल। ये एक साइंस है। बॉडी बनाने की शुरुआत तो आप कैसे भी कर सकते हैं, मगर थोडे बहुत रिजल्ट आने के बाद आपको इसके विज्ञान को समझना होगा तभी आप आगे बढ़ पायेंगे। इस लेख में हम आपको 21 बेसिक बॉडीबिल्डिंग टिप्स देंगे। इनकी मदद से आप बॉडी बनाने के अपने सपने को कम टाइम और कम खर्च में पूरा कर पायेंगे। ये टिप्स सबसे ज्यादा उनके काम के हैं जो जिम में नये हैं। यह लेख ऐसे लोगों के लिए है जो दुबले पतले हैं या ठीक ठाक शरीर है मगर वो अच्छी बॉडी बनाना चाहते हैं

बॉडी बिल्डिंग के लिए जरूरी बातें जानें

पहले मिक्स कसरत – शरुआत के दस से पंद्रह दिन आप मिक्स एक्सरसाइज करें। इसके बाद अपने कोच से एक शेड्यूल बनवा लें और उसे फॉलो करें। जिम से पहले थोड़ा वार्म अप करें, थोड़ा ही करें। इसके बाद कोई एक बॉडी पार्ट की एक्सरसाइज करें, तीन एक्सरसाइज, तीन तीन सेट और 8 से 12 के बीच रैप निकालें। वेट ट्रेनिंग के बाद हल्की कार्डियो या स्ट्रेचिंग करें।

तीन महीने कोई सपलीमेंट नहीं – शुरू के कम से कम तीन महीने किसी तरह का फूड सपलीमेंट लेने के बारे में न सोचें। इसकी दो वजह हैं। नंबर एक अभी तक आपको ठीक से कसरत करना भी नहीं आया होगा और दूसरी बात ये कि पहले आपको नेचुरल डाइट और कसरत की बदौलत अपनी बॉडी में बदलाव लाना चाहिए। अगर आप ऐसा कर पा रहे हैं तो इसका मतलब होगा कि आप सही रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं। यकीन मानें काफी हद तक सपलीमेंट के बिना भी अच्छी बॉडी बन जाती है।

मकसद तय करें – आपको सबसे पहले ये तय करना चाहिए कि आप क्या करना चाहते हैं। शुरुआती मकसद छोटा और क्लियर होना चाहिए। मसलन पांच किलो वजन बढ़ाना चाहता हूं, या एक इंच बाइसेप्स का साइज बढ़ाना चाहता हूं। बहुत बड़ी मंजिल पर निशाना न लगायें। छोटी छोटी मंजिलें तय करें। मकसद को हमने तीसरे नंबर पर इसलिये रखा है क्योंकि दो से तीन महीने बाद आप इसे तय करने के काबिल हो जायेंगे। शुरुआत के दो महीने तो आपको बस जिम जाना है और खुद को तैयार करना है। अब आप प्रोफेशनल तरीके से ट्रेनिंग कर पायेंगे।

अपनी डाइट जरूर कैलकुलेट करें – बॉडी बनाने के दौरान आपको बॉडी वेट के प्रतिकिलो पर 1 से लेकर करीब 3 ग्राम तक प्रोटीन की जरूरत पड़ती है। आमतौर पर देखें तो बॉडीबिल्डिंग में बॉडी वेट के प्रतिकिलो पर करीब दो ग्राम प्रोटीन, उसका चार से पांच गुना कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन का आधा फैट लेते हैं। इस डाइट पर शरीर का वजन भी बढ़ता है और बॉडी का साइज भी बढ़ता है। डाइट में प्रोटीन ज्यादा और कार्बोहाइड्रेट कम वो लोग रखते हैं जिन्हें लीन मसल्स बनाने हैं या वेट लूज करना है। बॉडी बनाने के लिये डायट में क्या खायें और कितना खायें अगर आपको ये पता है तो समझें आपका आधा काम बन गया।

आपको कितना वेट लगाना चाहिए – इसका कोई फिक्स जवाब नहीं है। बस हम आपको इतना ही कहेंगे कि किसी की देखा देखी हैवी से हैवी वेट के चक्कर में न रहें। बॉडी की ग्रोथ के लिए चैलेंज की जरूरत होती है अब किसी को ये चैलेंज 10 किलो के डिब्बे पर मिल जाता है और किसी को 20 किलो पर। जिस भी वेट पर आप अपनी फॉर्म को सही रखते हुए आठ से 12 के बीच रैप निकाल ले रहे हैं वही वेट आपके लिए वाजिब है और उसी पर आप ग्रो करेंगे। ट्रेनिंग के साथ साथ आप ज्यादा वेट उठाने लगेंगे।

बाइसेप्स के पीछे न भागें – जिम जाने वाले बहुत से लोग सबसे पहले बाइसेप्स के पीछे भागते हैं। यह बिल्कुल गलत है। पहली बात तो ये कि यह बहुत छोटा सा मसल्स है। इसके पीछे ज्यादा पड़ेंगे तो ओवर एक्सरसाइज हो जायेगी और बाइसेप्स की ग्रोथ थम जायेगी। यह बहुत छोटा सा मसल्स है इसे ग्रो करने के लिए सही कसरत और वाजिब रेस्ट की जरूरत होती है। जितना ध्यान बाइसेप्स पर दे रहे हैं उससे ज्यादा ट्राइसेप्स पर दें क्योंकि पूरे बाजू में ट्राइसेप्स की हिस्सेदारी 70 और बाइसेप्स की हिस्सेदारी करीब 30 फीसदी है।

बड़े मसल्स पर ज्यादा फोकस करें – थाई, शोल्डर और बैक बड़े मसल्स हैं। इन पर ज्यादा फोकस करना चाहिए। चेस्ट, बाइसेप्स, ट्राइसेप्स, कलाई, काफ छोटे मसल्स हैं। कुछ हद तक ये सभी बॉडी पार्ट बड़े मसल्स के साथ अपने आप डेवलप होते हैं। इसलिये इन पर ज्यादा टाइम न लगायें। इन पर फोकस करने का भी वक्त आयेगा मगर शुरुआत में नहीं। ऐसा भी नहीं है कि इनकी कसरतें करनी नहीं है। बस हम इतना बता रहे हैं कि शुरुआत में अपना फोकस बड़े मसल्स ग्रुप पर रखें।

फ्री वेट को चुनें – मशीनें हमारे काम को आसान कर देती हैं। इसीलिये बॉडी बिल्डिंग में फ्री वेट की बहुत अहमियत है क्योंकि फ्री वेट की कसरतें आमतौर पर मशीनों से ज्यादा टफ होती हैं। मशीनें कटिंग के लिये व एक छोटे मसल्स ग्रुप को टारगेट करने में ज्यादा कारगर होती हैं। फ्री वेट कसरतों से आपका ओवरऑल डेवलपमेंट होगा। अगर आपके पास कोई वर्कआउट प्लान नहीं है तो आप बॉडी बिल्डिंग के इन दो बेसिक वर्कआउट प्लान को शुरू में अपना सकते हैं।

पावर बढ़ायें – वैसे तो कसरत करने से पावर में इजाफ होता ही है मगर कुछ कसरतें ऐसी होती हैं, जिनसे खासतौर से पावर बढ़ती है जैसे डेड लिफ्ट, स्क्वेट, बारबेल शोल्डर फ्रंट प्रैस, बेंट ओवर बारबेल रो वगैरा। इन कसरतों से आप मर्द बनते हैं। इनमें हैवी वेट लगाने से आपकी ताकत में इजाफा होता है, शरीर मजबूत बनता है।

हर दो से तीन घंटे में खायें – बॉडी को खुराक लगातार मिलती रहनी चाहिए। बॉडी ग्रो करने के लिए जरूरी है कि आप हर दो से तीन घंटे में डाइट लें। हां ये बात स ही है कि बॉडी बिल्डिंग में छह से आठ बार तक खाना पड़ता है। नापसंद चीजें भी खानी होती हैं और भूख न लगने के बावजूद खाना होता है।

प्री वर्कआउट मील लें – वर्कआउट से पहले बॉडी को जरूरी एनर्जी देना जरूरी है। कसरत करने में कार्बोहाइड्रेट खासतौर पर मदद देता है। दुबले पतले लोगों को बिना प्री वर्कआउट मील लिये कसरत नहीं करनी चाहिए। खाने को बहुत कुछ है। आप कसरत से करीब 40 मिनट पहले दो उबले आलू, जरा सी दही के साथ खा सकते हैं। कसरत से पहले क्या खायें में आपको इसकी सारी जानकारी मिल जायेगी।

बॉडी को हाइड्रेट रखें – जिम में स्टेमिना कम होने की दो वजह होती हैं। एक तो शरीर में जान की कमी और दूसरा पानी की कमी। अगर बॉडी में पानी कम है तो आपकी सांस जल्दी फूलेगी और आपका स्टेमिना भी डाउन रहेगा। इसलिये अगर सुबह जिम करते हैं तो सुबह सबसे पहले दो गिलास पानी जरूर पी लिया करें। कसरत करते वक्त भी आप पानी या ग्लूकोज पी सकते हैं। दिन में भी दस गिलास पानी जरूर पियें। खुद को हाइड्रेट रखें।

बहुत कार्डियो न करें – एक्सरसाज शुरू करने से पहले ज्यादा कार्डियो नहीं करना चाहिए। अपनी एनर्जी को वेट ट्रेनिंग के लिए बचाएं। हां शरीर को गर्म करने के लिए थोड़ी बहुत ठीक है। आप पहले अच्छे से वेट ट्रेनिंग कर लें अगर उसके बाद भी कोई कसर रह जाती है तो कार्डियो करें। वैसे जिम से आखिर में रनिंग करने अच्छा रहता है। ध्यान रहे ये सलाह हम ऐसे लोगों को दे रहे हैं जिन्हें बॉडी बनानी है। मोटापा घटा रहे लोगों के लिए यह नहीं है।

बिना जान के पहलवान न बनें – आप कसरत करने आए हैं अपने लिए इसलिए करें भी अपने हिसाब से। जिम में दूसरों की देखा देखी वेट न उठाएं। हर किसी की जरूरत अलग होती है वो उसी के हिसाब से कसरत करता है फिर ये बात भी है कई लोग प्रोफेशनल भी होते हैं। आप उनसे इंस्पायर हों मगर उनकी नकल न करें।

सीरिसय लिफ्टर को पहचानें – जिम में सीरियस कसरत करने वालों को पहचानें। उनके पास नॉलेज होती है। वैसे तो सीरियस बॉडी बिल्डिंग करने वाले युवा जिम में आमतौर पर ज्यादा बात नहीं करते। कसरत करते वक्त को खासतौर पर नहीं। ऐसे लोगों से अदब से बात करें और उनसे सलाह लें। जरूरी नहीं कि हर शख्स आपको डिब्बे लेने की सलाह ही देगा।

किसी भी सपलीमेंट को लेने से पहले उसे जानें – वैसे तो शुरू में आपको कोई सपलीमेंट लेना ही नहीं चाहिए। लेकिन दो तीन महीने बाद अगर ऐसा महसूस होता है कि सपलीमेंट लेना है तो भी आंख मूंद कर कुछ भी नहीं खरीद लेना चाहिए। अगर आपके कोच या किसी जानकार ने आपको किसी सपलीमेंट की सलाह दी है तो पहले उसके बारे में पूरी जानकारी लें। इंटरनेट पर आपको सब मिल जायेगा। सपलीमेंट क्या है, उसे कैसे यूज करते हैं, वह किस काम आता है, उसके साइड इफेक्ट क्या हैं वगैरा वगैरा। बॉडीबिल्डिंग के 10 सपलीमेंट और उनका यूज जान लेंगे तो बेहतर रहेगा।

वन रैप टेस्ट करें – जब आपको जिम में दो महीने हो जायें तो वन रैप टेस्ट करें। इसे करने से आपको यह अंदाजा हो जायेगा कि आप किस कसरत में कितना वेट पुश या पुल या लिफ्ट कर सकते हैं। एक बार ये पता लग जाये तो उस वेट में से 20 या 30 फीसदी कम करके एक्सरसाज करें।

वक्त लगेगा सब्र करें – हर रोज वेट मशीन पर चढ़ने या बाइसेप्स का साइज नापने से वो बढ़ नहीं जाएगा। बॉडीबिल्डिंग में वक्त लगता है। अगर आपकी डाइट बहुत अच्छी हो तो भी 20 दिन से एक महीना लगता है वेट बढ़ना शुरू होने में और इसकी भी कोई गारंटी नहीं है। गारंटी बस एक बात की है कि जो भी लगा रहा है उसने अपनी मंजिल आज नहीं कल पा ही ली है। यहां सबसे ज्यादा मायने रखती है आपकी लगन।

पढ़ाई करें – ये बहुत जरूरी बात है। अगर आप अपना नुकसान होने से बचाना चाहते हैं तो पढ़ाई बहुत जरूरी है। कई बेहतरीन वेबसाइट हैं जिन पर बॉडी बनाने के बारे में बहुत ही बारीक जानकारी दी गई है। हमेशा ऐसी वेबसाइट से पढ़ें जहां लिखने वाले प्रोफेशनल हों, जिन्हें खुद पता हो कि पहली बार डेड लिफ्ट मारने के बाद चाल में क्या फर्क आता है।

72 घंटे का गैप दें – एक बॉडी पार्ट की कसरत करने के बाद उसे आमतौर पर कम से कम 72 घंटे का रेस्ट दिया जाता है। ये स्टैंडर्ड टाइम है मसल्स के रिकवर होने का। इससे पहले उसी बॉडी पार्ट की कसरत करेंगे तो उसकी ग्रोथ रुक सकती है। मसल्स को ग्रो होने के लिए टाइम देना पड़ता है।

हैवी वेट या लाइट वेट का फंडा जानें – जिम में जाने वाले युवा कई बार इस बात को लेकर कन्फ्यूज रहते हैं कि लाइट वेट से कसरत करें या हैवी वेट से। इसका सीधा सा नियम है लाइट वेट होता है कटिंग के लिए और हैवी वेट होता है साइज के लिए। हालांकि यह नियम कभी भी सौ फीसदी लागू नहीं होता। जो लोग लाइट वेट से कसरत करते हैं उन्हें बीच बीच में हैवी वेट भी पुश करना चाहिए और जो लोग हैवी वेट से कसरत करते हैं उन्हें बीच बीच में लाइट वेट से कसरत जरूर करनी चाहिए। इस लेख में हमने आपको 21 बॉडीबिल्डिंग टिप्स की जानकारी दी है। ये बेसिक टिप्स हैं। ऐसा नहीं है यहां कही हुई हर बात हर किसी पर सौ फीसदी लागू होती है मगर हां ज्यादातर लोगों पर ये नियम लागू हाेते हैं।

स्रोत: http://www.bodylab.in/

Good to know, Other