वेट लॉस के बाजार में ग्रीन कॉफी का नाम ज्यादा पुराना नहीं है। सन 2012 में एक मशहूर अमेरिकी शो में इसका जिक्र हुआ था, जिसके बाद यह पॉपुलर हुआ। आज वेट लॉस के बाजार में ग्रीन कॉफी बीन्स को एक चमत्कार की तरह पेश किया जा रहा है।
ग्रीन कॉफी बीन दरअसल कॉफी बीन्स ही होते हैं मगर बिना रोस्ट किये हुए। बीन्स को रोस्ट करने से एक खास कैमिकल कम हो जाता है, जिसे क्लोरोजेनिक एसिड (Chlorogenic acid) कहते हैं। इसलिए ग्रीन कॉफी बीन्स में आम कॉफी के मुकाबले ज्यादा क्लोरोजेनिक एसिड होता है। कहा जाता है कि यह एसिड हेल्थ के लिये काफी अच्छा होता है। लोग ग्रीन कॉफी को मोटापे से लड़ने, डायबटीज, हाई बीपी, अलजाइमर और बैक्टीरियल इंफेक्शन से लड़ने में यूज करते हैं।
साइड इफेक्ट green coffee ke side effects
आमतौर पर दो चार कप ग्रीन कॉफी से किसी तरह का नुकसान सामने नहीं आया है। मगर ग्रीन कॉफी आखिर में होती तो कॉफी ही है और उसमें कैफीन होता है। अगर किसी को कैफीन से किसी तरह की परेशानी है तो उसे ग्रीन कॉफी से भी वो परेशानी होगी। इसलिए बेहतर होगा कि इसे इस्तेमाल करने से पहले ये जान लें कि आपको कैसा महसूस हो सकता है।
1 बेचैनी Anxiety disorder – ग्रीन कॉफी की वजह से बेचैनी की शिकायत बढ़ जाती है। अगर किसी को पहले से बेचैनी की परेशानी है तो यह उसमें इजाफा कर सकती है।
2 डायरिया Diarrhea – ग्रीन कॉफी में कैफीन होता है और कैफीन ज्यादा होने के चलते पेट चल सकता है और अगर आपका पेट पहले से चला हुआ है तो यह कंडीशन को और खराब कर देता है। अगर आपका पेट कमजोर है तो यह प्रोडक्ट आपके लिए ठीक नहीं है।पूरी जानकारी के लिए तस्वीर पर क्लिक करें।
3 ग्लूकोमा Glaucoma – ग्रीन कॉफी में मौजूद कैफीन से आंखों के भीतर प्रैशर बढ़ जाता है। कॉफी पीने के महज 30 मिनट बाद ही प्रैशर बढ़ जाता है और यह कम से कम 90 मिनट तक रहता है।
4 हाई बीपी High blood pressure – इससे ब्लड प्रैशर बढ़ जाता है। जिन लोगों में बीपी की दिक्कत पहले से है वो अगर ग्रीन कॉफी पियें तो उनकी हालत और बिगड़ सकती है।
5 हाई कॉलेस्ट्रॉल High cholesterol – अनफिल्टर्ड कॉफी के कुछ सब्सटांस की वजह से कॉलेस्ट्रॉल के लेवल में दिखाई दी है। यह सब्सटांस ग्रीन कॉफी में हो सकते हैं। हालांकि यह पूरी तरह से क्लीयर नहीं है कि ग्रीन कॉफी से वाकई कॉलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है।
6 इरिटेबल बाउल सिंड्रोम IBS – जिन लोगों के बाउल की मूवमेंट नॉर्मल नहीं रहती उनके लिए ज्यादा मात्रा में कैफीन लेना ठीक नहीं रहता क्योंकि कैफीन इस कंडीशन को और खराब कर देता है। इसलिए जिन लोगों को IBS से जुड़ी दिक्कतें हैं उन्हें ज्यादा कॉफी लेने से बचना चाहिए।
7 ऑस्टियोपोरोसिस Osteoporosis – जो लोग कैफीन लेते हैं उनके पेशाब में कैलशियम बढ़ जाता है। इससे हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। अगर आपको ऑस्टियोपोरोसिस है तो दिन में दो – तीन कप से ज्यादा कॉफी न पियें। दो तीन कप भी हार्ड नहीं नॉर्मल कॉफी होनी चाहिए। 40 की दहलीज पार चुकी महिलाओं को खासतौर पर इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
रोस्टेड कॉफी में होते हैं एंटीऑकसीटैंड
ये बात सही है कि ग्रीन कॉफी में क्लोरोजेनिक एसिड ज्यादा होता है मगर इसका दूसरा पहलू ये भी है कि कॉफी बीन्स के रोस्ट करने से उनमें एंटीऑक्सीडेंट बढ़ जाते हैं। इसके अलावा ग्रीन कॉफी पीने में वैसी नहीं लगती जैसी नॉर्मल कॉफी होती है यानी वो टेस्ट नहीं आता। हमने आपको ग्रीन कॉफी के 7 साइड इफेक्ट बता दिये हैं अब इसे यूज करने या न करने का फैसला आपको लेना है। हां इतना जरूर कहेंगे कि वजन घटाने में इससे किसी चमत्कार की उम्मीद करना गैर वाजिब होगा। काॅफी को आप अपनी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बनायें मगर इसके बूते वेट लॉस की बात करना ओवर एक्सपेक्टेशन हो जाएगा।
स्रोत: http://www.bodylab.in/